Love Song

  बेशक खाली ही रहेगा दामन तेरा
फिर भी गुजरे जमाने की फरियाद कर ले ।
हासिल कुछ हो ना हो
कुछ पलों की मुस्‍कान की खातिर
फिर उस दौर, उस जमाने को याद कर ले ।

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कौन पीता है, कौन अछूता है
किस का नाम लूं, किस का छोड दूं ।
जाम से ज्‍यादा तो
साकी की निगाहों ने लूटा है
आप ही कहें पीने वालों की फेहरिस्‍त में
अब किस किस का नाम जोड दूं ।।
 

 
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ये जुल्‍फ, ये लब, ये हुस्‍न,
ये दिलकश निगाहें,
कौन है जिसकी आरजू में
तू शामिल नहीं है,
हर तरफ तेरी खुशबू,
हर तरफ तेरा जलवा,
तेरे दिवानों के लिये
और कुछ दीदार के काबिल नहीं है,
तेरी इक निगाहे करम की कीमत
अपने उन दिवानों से तो पूछ,
जिन्‍हें तू हासिल नहीं है ।
 
 
 
 
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क्‍यों इस कदर हमसे खफा है वो
बेरूखी सी निगाह भी डालना
उसे गवारा नहीं
लबों पे नाम ना सही मेरा
सितम की इंतेहा तो देखो
दिल में भी उसने मुझे
एक बार भी पुकारा नहीं ।।
 
 
 
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उमर भर यही मलाल रहा
उसका जवाब मेरे लिये सवाल रहा
जो एक पल की दूरी को मौत कहता था
मेरे बिना जिन्‍दा हजारों साल रहा । (चोरी-चोरी)
 
 
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उन तक पहुंचती नही सदा मेरे दिल की
कोई मेरी चाहत की उनसे गुजारिश कर दे ।
अब तो उनकी हां पे ही
बदलेगी मेरी दुनिया जन्‍नत में
कोई जा के उनसे मेरी सिफारिश कर दे ।।

 
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उसने नही, मैंने की है मुहब्‍बत
वो तो वफा की हर शर्त से आजाद है ।
मेरी बात और है
मैं तो उस शहर का वाशिन्‍दा हूं
जहां मुहब्‍बत में सिर्फ वफा का रिवाज है ।।

 
 
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कैसे भुला सकेगा जमाना
हर मोड पे बाकि मेरे निशां होंगे
हर खुशी में मैं ही गाउंगा
हर गम में तेरे साथ गुनगुनाउंगा
मेरे ही फसाने हर दिल हर जुबां होंगे
मौत क्‍या मिटायेगी हस्‍ती
बिछड के भी ना हम जुदा होंगे
कभी मैं होंगा और कभी होगी मेरी याद
जब भी जिन्‍दादिली और जिंदगी के किस्‍से बयां होंगे
 
 

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उससे बिछडना मुझे भी मंजूर ना था
पर किसे इल्‍जाम दे दोनों का कसूर ना था ।
वो हसीन थी उसका गुरूर लाजमी था
और मुझे भी मालूम इश्‍क का दस्‍तूर ना था ।।
 
 
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तेरी याद, तेरा ख्‍याल,
तेरी आरजू , तेरी ही चाहत
इन दिनों फिर इन्‍हीं में उलझे हैं
बाकि सारे काम है अब बाद में
दिन का चैन और रातों की नींद
तो हम गंवां बैठे है, जानम तेरी याद में
तूझको ही पूजते हैं, तूझको ही मांगते हैं
अब तो खुदा से हर फरियाद में ।
 
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रौनकें भी है और रौशन भी
मेरी जिंदगी की महफिल,
तमाम खुशियां है और शामिल है इसमें
मेरा पसंदीदा हर एक शै ।
कहने को तो कारवां है साथ मेरे
जब तू पास होता है तो हैरां होता हूं
कि किस कदर तन्‍हा हूं मैं ।। 


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''बेबूझ है ख्‍वाहिशों के खेल
हमें जिसकी ख्‍वाहिश है
वो खुद किस का ख्‍वाहिशमन्‍द है
इन ख्‍वाहिशों ने ही तो खुदा को बनाया है
और जब तक ये है
उस तक पहुंचा दे जो
हर वो रास्‍ता बंद है ।''
 
 
 
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बैठा हूं दर पे तेरे, उम्‍मीद से
कि शायद वो मेहरबां होकर
अन्‍दर आने को बोल दे ।
दीदार ना दे जालिम, ना सही
कम से कम अपने कमरे की
खिडकी तो खोल दे ।।
 

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फिर तेरी जुस्‍तजू है, फिर तेरी आरजू है
बेचैन भी हूं और बेकरार भी,
फिर तू इस कदर याद आ रहा है ।
ये साजिश किसकी है, किसे इल्‍जाम दूं
ये दिल तो बस अपना फर्ज निभा रहा है ।
एक तो तू खुद कयामत है
और उस पर आज ये मौसम भी
कयामत ढा रहा है ।
 
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मैं जिंदगी के रास्‍ते पे चुपचाप बिखर जाता
अगर एक रोज अपनी तन्‍हाई से डर जाता
सामने मंजिल थी पिछे उसकी आवाज
रूकता तो सफर रह जाता, चलता तो बिछड जाता ।।
(चोरी -चोरी)
 


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मुद्दतों बाद मिली 
तो उसने मेरा नाम पूछा .. 
सुनकर ये सवाल हैंरां हैं 
रोये की हंसे 
वो जमाना अभी ठीक से गुजरा भी नहीं 
जब वो हमसे कहती थी 
सिर्फ तुम ही हो मेरे दिल में बसे




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तेरे ख्‍याल से ही इतना सुकून
वो मेरी जिंदगी मे कब चला आया 
मुझे तो ये अहसास ना हुआ  ।
ये खयाल मुझे तब आया 
जब किसी ने याद दिलाया की 
मैं मुद्दत से उदास ना हुआ ।। 


 
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तेरे ख्‍याल से ही इतना सुकून है 
जिन्‍दगी खुबसूरत और आसान है । 
जो तू खुद मिल जाये तो क्‍या कहना 
मेरे लिये तो जन्‍नत ये जहान है ।। 

 



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कितने गम थे मेरे हिस्‍से के 
कितनी दुश्‍वारियां बाकि थी 
प्‍यास सदियों की थी 
और एक कतरा भी पीया ना था  । 
बेरहम वक्‍त ने 
बिदा लेने की भी मोहलत ना दी
बस अभी तो मिला था उनसे 
और सलाम भी ठीक से किया ना था ।। 




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चाहत का ये सिलसिला आज का नहीं 
बरसों से मैं उसका तलबगार हूं । 
सांसों में उसकी महक आज भी कायम है 
उसके लिये आज भी बेचैन और बेकरार हूं ।। 

 



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हम भी देखेंगे तेरी वफा कौन सी है 
दिल जिस पे मरता है वो अदा कौन सी है । 
या तो कर दे कत्‍ल या लगा ले सीने से 
बता इन दोनों में तेरी रजा कौन सी है ।। (चोरी -चोरी)








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हमें भी नींद की तलब ना रही 
अब रातों को जागना अच्‍छा लगता है । 
मैं जानता हूं वो मेरा नहीं है 
पर उसे खुदा से मांगना अच्‍छा लगता है ।। 

  



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तेरी ही जुस्‍तजू घेर है मुझे 
हर सांस पर तेरी ही चाहत का पहरा है 
गर चाहो तो मेरे खयालों की तलाशी ले लो 
इक तेरी ही आरजू है, इक तेरा ही चेहरा है 


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ये कौन फिरता है मुझ में आरजू बन के
किसकी धुंध में खो गया मेरा बजूद है ।
खुद में जगह नहीं मिलती मुझको
वो इस कदर मुझ में मौजूद है ।।



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