काका ने कुंए की जगत पर बैठकर कुंए में झांका, मनोकामना की और सिक्का डालकर पीछे हट गये ।
अब काकी की बारी थी । पर झांक कर देखने की कोशिश में वह जरा ज्यादा ही झुक गई और कुंए में जा गिरी।
काका एक मिनट के लिए स्तब्ध रह गया। फिर बुदबुदाया - बाप रे! इतनी जल्दी! इन बातों पर तो मैं विश्वास ही नहीं करता था, वाकई यह तो चमत्कारी है!
अब काकी की बारी थी । पर झांक कर देखने की कोशिश में वह जरा ज्यादा ही झुक गई और कुंए में जा गिरी।
काका एक मिनट के लिए स्तब्ध रह गया। फिर बुदबुदाया - बाप रे! इतनी जल्दी! इन बातों पर तो मैं विश्वास ही नहीं करता था, वाकई यह तो चमत्कारी है!
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